Saturday, August 06, 2011

बेटियां तो सिर्फ एक एहसास होती हैं

श्रीमान शैलेष लोधा (तारक मेहता) द्वारा लिखी कुछ खूबसूरत पंक्तियाँ अपनी बेटी के लिये

क्या लिखूँ ?
कि वो परियों का रूप होती है
या कड़कती ठंड में सुहानी धूप होती है

वो होती है उदासी के हर मर्ज की दवा की तरह
या ओस में शीतल हवा की तरह
वो चिड़ियों कि चेह्चाहट है
या कि निश्छल खिलखिलाहट है

वो आँगन में फैला उजाला है
या मेरे गुस्से पे लगा टला है
वो पहाड कि छोटी पे सूरज कि किरण है
या जिंदगी सही जीने का आचरण है

है वो ताकत जो छोटे से घर को महल बना दे
है वो काफ़िया जो किसी गज़ल को मुक्कमल कर दे
क्या लिखूँ ??
वो अक्षर जो न हो तो वर्णमाला अधूरी है
वो जो सबसे ज्यादा जरूरी है

ये नहीं कहूँगा कि वो हर वक्त साथ साथ होती है
बेटियां तो सिर्फ एक एहसास होती हैं

वो मुझसे ऑस्ट्रेलिया में छुट्टियाँ , मर्सडीज़ टू ड्राइव ,
५ स्टार में डिन्नर, या महंगे आइपॉड नहीं माँगते
न वो ढेर से पैसे पिगी बैंक में उढेलना चाहती है
वो बस कुछ देर मेरे साथ खेलना चाहती है

और मैं कहता हूँ यही
कि बेटा बहुत काम है. नहीं करूँगा तो कैसे चलेगा
मजबूरी भरे दुनिया दारी के जवाब देने लगता हूँ

और वो झूठा ही सही
मुझे एहसास दिलाती है
कि जैसे सब कुछ समझ गयी हो
लेकिन आँखें बंद कर के रोती है
जैसे सपने में खेलते हुए मेरे साथ होती है

जिंदगी न जाने क्यूँ इतनी उलझ जाती है
और हम समझते हैं, बेटियाँ सब समझ जाती हैं



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